कंटोला एक औषधीय गुणों से भरपूर सब्जी है, इसके सेवन से कई सारे रोग दूर भाग जाते हैं

आज हम इस लेख में कंटोला नामक बागवानी फसल के विषय में बात करेंगे। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कंटोला के अंदर भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर को स्वस्थ व सेहतमंद रखते हैं। हमारे शरीर के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए अच्छे पोषक तत्वों की काफी जरूरत होती है। इसके लिए हमें कई तरह की सब्जियों का सेवन करना चाहिए, जो हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करें। साथ ही, हमें बाकी बीमारियों से भी दूर रखें। ऐसी स्थिति में आज हम आपको एक बेहद ही फायदेमंद सब्जी कंटोला के संबंध में बताने जा रहे हैं, जो आयुर्वेद में एक ताकतवर औषधि के तौर पर मशहूर है। इस सब्जी के अंदर मांस से 40 गुना अधिक प्रोटीन विघमान होता है। इस सब्जी में उपस्थित फाइटोकेमिकल्स हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को काफी बढ़ाता है। इसकी खेती विशेष रूप से भारत के पहाड़ी हिस्सों में की जाती है। भारत में इसे अन्य लोकल नाम कंकोड़ा, कटोला, परोपा एवं खेख्सा के नाम से जाना जाता है।

कंटोला की फसल हेतु खेत की तैयारी

कंटोला की खेती के लिए बलुई दोमट मृदा काफी अच्छी होती है। आप खेत की जुताई के बाद इसपर कम से कम 2 से 3 बार पाटा जरुर चला दें. इसकी बेहतर पैदावार के लिए खेत में समय-समय पर गोबर की खाद मिला कर जैविक तरीके से खाद देते रहें। किसी भी फसल की बेहतरीन उपज के लिए खेत की तैयारी काफी अहम भूमिका अदा करती है।

कंटोला की बुआई कब की जाती है

कंटोला एक खरीफ के समय में उत्पादित की जाने वाली फसल है। गर्मी के समय में मैदानी इलाकों में जनवरी और फरवरी महीने के अंतर्गत उगाई जाती है। साथ ही, खरीफ की फसल की जुलाई-अगस्त में बुवाई की जाती है। इसके बीजों को, कंद अथवा कटिंग के जरिए से लगाया जाता है।

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कंटोला की कटाई कब की जाती है

कंटोला के फल का बड़े आकार में होने पर ही इसकी कटाई की जाती है। इन फलों की मुलायम अवस्था में दो से तीन दिनों की समयावधि पर नियमित तुड़ाई करना फायदेमंद होता है। कंटोला की खेती करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

कंटोला में कौन कौन से औषधीय गुण विघमान हैं

कंटोला अपने औषधीय गुणों की वजह से जाना जाता है। यह हमारे शरीर की पाचन शक्ति को बढ़ाता है। इसमें उपस्थित रासायनिक यौगिक मानव शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह शरीर के ब्लड शुगर लेवल, त्वचा में दरार एवं आंखों के बेहतरीन स्वास्थ्य के लिए सहायक साबित होता है। यह किडनी में होने वाली पथरी को भी दूर करता है। साथ ही, बवासीर के मरीजों के लिए भी लाभदायक होता है।